warfarm.pages.dev


Bahadur shah zafar pension

          Bahadur shah zafar last words...

          बहादुर शाह ज़फ़र

          बहादुर शाह ज़फ़र (24 October 1775-7 November 1862) भारत में मुग़ल साम्राज्य के आखिरी शहंशाह, और उर्दू के जानेे-माने शायर थे। उन्होंने 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सिपाहियों का नेतृत्व किया। युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया जहाँ उनकी मृत्यु हुई ।

          जब मेजर हडसन मुगल सम्राट को गिरफ्तार करने के लिए हुमायूं के मकबरे में पहुँचा, जहाँ पर बहादुर शाह ज़फर अपने दो बेटों के साथ छुपे हुए थे, तो उसने (मेजर हडसन) की स्वयं उर्दू का थोड़ा ज्ञान रखता था ,कहा -

          दम में दम नहीं है ख़ैर मांगो जान की..ऐ ज़फर, ठंडी हुई अब तेग हिंदुस्तान की..

          इस पर ज़फ़र ने उत्तर दिया-

          हिन्दोँ(इंडियन) मेँ बू रहेगी जब तक ईमान की..तख़्त-ए-लंदन तक चलेगी तेग़-ए-हिन्दोस्तान की.[1]

          उड़द

          [संपादित करें]

          588888

          4123

          इनका का जन्म 24 अक्तूबर, 1775 में हुआ था। उनके पिता अकबर शाह द्वितीय और माँ लालबाई थीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद जफर को 28 सितंबर, 1837 में मुगल बादशाह बनाया गया। यह दीगर बात थी कि उस समय तक दिल्ली की सल्तनत